रात के प्रहार मैं लगता है अब नींद नहीं आनेवाली तब सोचता हूँ मैं , लिखू कविता नमो वाली नमो है शख्स वोह जिसने गुजरात का दिल है जीता मांग रहा हूँ खुदा से अब दिल्ली का ताज सीधा CM की कुर्सी से किये परिश्रम ने है रंग दिखलाया दस वर्ष में बिजली , सड़क , पानी का हल ढूंढ निकाला मख्कन सी सडकों पे अब चले हैं गाडी हमारी लगता है हमे , कोई बड़े निर्माण की है तैय्यारी पर कुछ लोगों को विकास की रोटी रास न आई बारह साल से तीस्ताओ ने एक ही जूठी रट लगायी के Guj के CM ने मुसलमानों की जान न बचायी जबकि SIT ने भी उसकी इस बात को झूठी बताई बोली SIT की इन्होने जूठ की फैक्ट्री खूब चलायी जब पड़ोसियों ने मदद से किया इंकार , 24 घंटे में मोदी ने आर्मी बुलाई .. कहा उसने की गुजरात पुलिस ने भी दंगायियो पे गोली चलायी तो फिर तीस्ता पहुंची सुप्रीम कोर्ट देने इन्साफ की दुहाई .. पर अपना NaMo है कर्मयोगी निराला , विकास का मंत्र है घोल के उतारा निडर हो के करे हैं सारे काम , दुश्मनो...
Just random thoughts on recent events in the world, my life etc.